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अयोध्या फैसले पर संयम बरतें: मनमोहन

२९ सितम्बर २०१०

अयोध्या पर हाई कोर्ट के 30 सितंबर के फैसले के बाद किसी गड़बड़ी की आशंका के बीच भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देशवासियों से अपील की है कि फैसला चाहे कैसा भी आए, भारत में शांति और सहिष्णुता बनी रहनी चाहिए.

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सुरक्षा के कड़े इंतजामतस्वीर: UNI

प्रधानमंत्री सिंह से जब पूछा गया कि गुरुवार 30 सितंबर को आने वाले फैसले पर वह क्या संदेश देना चाहते हैं तो उन्होंने कहा, "मैं समझता हूं कि फैसला चाहे कुछ भी आए, भारत के हर नागरिक को कोशिश करनी चाहिए कि शांति और सहिष्णुता बनी रहे." प्रधानमंत्री अपने निवास पर एक किताब का विमोचन कर रहे थे.

Sonia Gandhi und Manmohan Singh
तस्वीर: UNI

मनमोहन ने बताया कि उनके कैबिनेट ने एक हफ्ता पहले भी इस आशय का संदेश जारी किया है. अदालती फैसले पर रोष व्याप्त होने की आशंका को देखते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने पहले ही कहा है कि जब तक समाज का हर तबका संतुष्ट नहीं हो जाता, तब तक इस मुद्दे का कानूनी हल तलाशा जाएगा. इसका संकेत यह हुआ कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट का रास्ता लगभग तय है.

कैबिनेट से पारित प्रस्ताव में कहा गया है, "किसी भी वर्ग को उकसाने वाली ऐसी कार्रवाई नहीं करनी है, जिससे दूसरे वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचे और न ही उन्हें अपनी भावनाओं का ऐसा प्रदर्शन करना है, जिससे दूसरे लोगों की भावनाएं आहत हों."

प्रस्ताव में कहा गया है, "यह कहने की जरूरत नहीं कि फैसले का पूरा सम्मान किया जाएगा. लेकिन हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि यह फैसला कानूनी प्रक्रिया की सिर्फ पहली सीढ़ी है. अगर सभी पक्षों को मान्य न हो तो कोई जरूरी नहीं कि यह मुद्दा इस फैसले के साथ ही खत्म हो जाए." प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर कोई भी पक्ष समझता है कि कानूनी कार्रवाई आगे भी चलनी चाहिए तो ऐसा हो सकता है.

Bharatiya Janta Party (BJP) Hauptquartier
तस्वीर: AP

इस बीच भारत में कांग्रेस और बीजेपी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसके तहत हाई कोर्ट के फैसले पर लगी रोक हटा ली गई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि बाबरी मस्जिद की जमीन की मिल्कियत वाले मुद्दे का फैसला गुरुवार 30 सितंबर को होगा. सुन्नी वक्फ बोर्ड और अखिल भारत हिंदु महासभा दोनों इस जमीन पर हक जताते हैं.

कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा, "हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. हमारी पार्टी हमेशा से कहती आई है कि इस मुद्दे का हल या तो आपसी बातचीत से हो जाए या फिर इस पर अदालत के फैसले को माना जाए."

बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इसके साथ ही 60 साल से चला आ रहा विवाद खत्म हो पाएगा. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी कानूनी मुद्दे खत्म नहीं हुए हैं. जावड़ेकर ने कहा, "कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. हम लोगों से अपील करते हैं कि वे शांति बनाएं और उम्मीद करते हैं कि वे ऐसा करेंगे भी." राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया. आरएसएस प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि कानूनी रास्ते में अड़चन लगाने की कोशिश नाकाम हुई.

उधर, समाजवादी पार्टी के महासचिव मोहन सिंह ने कहा, "मैं समझता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद अच्छा फैसला दिया है, जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश के एक हिस्से में खामख्वाह आतंक का माहौल बन गया था."

सीपीएम का कहना है कि 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद से उसका मानना है कि मामले का हल सिर्फ अदालती कार्रवाई से ही हो सकता है.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एस गौड़