अयोध्या पर हिंदू महासभा भी सुप्रीम कोर्ट में
२३ दिसम्बर २०१०हिंदू महासभा ने अयोध्या के राम मंदिर की विवादित जमीन के एक तिहाई हिस्से को मुस्लिम पक्ष को देने पर सवाल उठाया है. संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि की तरफ से याचिका दायर की गई है. इससे पहले मुस्लिम पक्ष के सुन्नी वक्फ बोर्ड और जमायत उलेमा ए हिंद भी इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुके हैं.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर को फैसला सुनाया कि अयोध्या की विवादित जमीन के तीन टुकड़े कर दिए जाएं. एक हिस्सा मुसलमानों को मिले और बाकी दो हिंदुओं को. हिंदू महासभा ने हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के इस फैसले को रद्द करने की मांग की है. अपनी याचिका में संगठन ने कहा है, "30 सितंबर 2010 को दिए जस्टिस एसयू खान और जस्टिस सुधीर अग्रवाल के फैसले को रद्द कर दिया जाए." तीसरे जज जस्टिस धर्मवीर शर्मा ने पूरी जमीन पर हिंदुओं को हक देने का फैसला सुनाया था. हिंदू महासभा ने सिर्फ जस्टिस धर्मवीर शर्मा के फैसले को मान्य करने का आग्रह किया है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह फैसला बहुमत से सुनाया था. जस्टिस खान और जस्टिस अग्रवाल का कहना था कि विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांट देना चाहिए. इनमें से एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और तीसरा हिस्सा राम लला विराजमान के प्रतिनिधियों को मिले. लेकिन जस्टिस शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि पूरी जमीन पर हिंदुओं का हक बनता है.
महासभा ने कहा है कि जजों का फैसला ही गलत है क्योंकि हाई कोर्ट को इस बात का फैसला करना था कि जमीन का असली मालिक कौन है और उसे जमीन बांटने का अधिकार नहीं है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए जमाल