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अयोध्या के लोग जल्द चाहते हैं फैसला

२४ सितम्बर २०१०

अयोध्या मामले पर अदालती कार्रवाई और लंबी हो जाने से भले ही प्रशासन और सरकारों ने राहत की सांस ली हो लेकिन अयोध्या का आम आदमी चाहता है कि इस मामले का फैसला जल्द ही हो जाना चाहिए.

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तस्वीर: AP

अयोध्या के साकेत डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर डॉक्टर अनिल सिंह का कहना है, "आपको सड़कों पर ट्रैफिक दिख रहा होगा और बाजार खुला दिख रहा होगा लेकिन यहां की फिजा में अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है. बेहतर होता कि शुक्रवार को ही फैसला आ जाता."

हालांकि उनका कहना है कि दो समुदायों के बीच कोई तनाव नहीं है. वह कहते हैं, "यहां इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं कि सब कुछ ठहर सा गया है. वे स्कूलों में और कॉलेजों में डेरा डाले हुए हैं. इससे पढ़ाई लिखाई पर भी असर पड़ रहा है."

Soldaten patroullieren durch die Straßen in Ayodhia Indien
तस्वीर: AP

अयोध्या के लोगों का कहना है कि अब वे मानसिक तौर पर फैसला सुनने के लिए तैयार हो चुके हैं. वह नहीं चाहते कि 60 साल से चली आ रही लड़ाई और लंबी खिंचे. अयोध्या की अर्थव्यवस्था धार्मिक श्रद्धालुओं के बूते चलती है. जब से विवाद खड़ा हुआ है, तब से उनकी संख्या लगातार घटती जा रही है.

अयोध्या के नया घाट पर दुकान चलाने वाले राजकिशोर मौर्य का कहना है कि दिया और माला का कारोबार घट गया है. श्रद्धालू आ ही नहीं रहे हैं. उनका तो कारोबार ही चौपट हो गया है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट शुक्रवार 24 सितंबर को बाबरी मस्जिद की मिल्कियत का फैसला सुनाने वाली थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को अगले हफ्ते तक के लिए टाल दिया है.

मौर्य ने कहा कि शुक्रवार को ही पितृपक्ष शुरू हुआ है और "देखिए कि यहां कोई आया ही नहीं है." उनका कहना है कि पिछले साल तक अच्छी खासी संख्या में लोग आया करते थे.

Polizisten in Mathura
तस्वीर: UNI

अयोध्या के लोगों का कहना है कि सड़कों पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों से उन्हें कोई परेशानी नहीं है क्योंकि वे नियम से रह रहे हैं, किसी को तंग नहीं कर रहे. लेकिन सुरक्षा बलों की मौजूदगी भर से ही लोगों में खौफ का माहौल बन जाता है.

अयोध्या के एक निवासी का कहना है, "चेक प्वाइंट और फ्लैग मार्च से ऐसा लगने लगता है कि जैसे कुछ खतरनाक होने वाला है. यहां के लोगों को तो एक दूसरे से कोई परेशानी नहीं है."

अस्थायी राम जन्मभूमि मंदिर के सरकार के नियुक्त पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि गांवों के लोगों को नहीं पता है कि फैसले की तारीख टाल दी गई है और इस वजह से भी यहां लोग नहीं आ रहे हैं.

दास का कहना है, "अगले एक हफ्ते तक ऐसा ही रहने वाला है." उनका कहना है कि अगर ऐसा ही रहा तो मंदिर का भी बुरा हाल होने वाला है क्योंकि वह ज्यादातर श्रद्धालुओं के दान पर ही चलता है.

अयोध्या पर फैसला भले ही हफ्ते भर के लिए टल गया हो लेकिन पुलिस का कहना है कि सुरक्षा इंतजाम में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी. अयोध्या के एसएसपी आरकेएस राठौड़ का कहना है कि सुरक्षा बंदोबस्त ऐसे ही रहेंगे.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः आभा एम