तारों की बरसात
२३ मई २०१४आसमान में एक नहीं, कई तारे टूटने वाले हैं. दरअसल जिन्हें टूटते तारे के नाम से जाना जाता है और फिल्मों में जिन्हें देख कर हीरो हीरोइन साथ जीने मरने की कसमें खाते हैं, वे तारे होते ही नहीं हैं. आसमान में तेजी से गुजरती हुई यह रोशनी उल्कापिंड की होती है. उल्कापिंड अंतरिक्ष से गिरने वाला कूड़ा है. ये ग्रहों और तारों के छोटे छोटे टुकड़े हैं जो टूट कर अलग हो जाते हैं और पृथ्वी के वातावरण में आते ही जलने लगते हैं. इसीलिए ये आसमान में चमकते हुए नजर आते हैं. किसी धूमकेतु के पीछे बहुत सारे उल्कापिंड नजर आ सकते हैं. आम बोलचाल में इसी को तारों की बरसात कहा जाता है.
इस बार यह बरसात हो रही है पी209 नाम के धूमकेतु की वजह से. इसके बारे में वैज्ञानिकों को 10 साल पहले पता चला. नासा के बिल कूक ने बताया कि यह नजारा पश्चिमी अमेरिकी समय से रात 10:30 बजे शुरू हो जाएगा. उनका कहना है कि दो से चार बजे के बीच सबसे बेहतरीन नजारा दिखेगा.
धूमकेतु 23 से 24 मई के बीच धरती के करीब से गुजरेगा, इस बात का अंदाजा वैज्ञानिकों ने दो साल पहले ही लगा लिया था. कूक ने बताया, "यह वरुण ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का असर है कि उल्कापिंड धरती के वातावरण की ओर आ रहे हैं." यह धूमकेतु सूरज के इर्द गिर्द घूमता है और हर पांच साल में पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करता है. लेकिन यह इतना भी करीब नहीं है कि किसी तरह का नुकसान हो.
ये धूमकेतु 58,000 किलोमीटर की रफ्तार से गुजरेंगे. कूक बताते हैं कि सबसे अच्छा नजारा उन इलाकों में देखा जा सकेगा, जहां आसमान साफ हो और बादल नजारे को खराब न करें, "आपको बस इतना करना है कि पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं और सीधे आसमान की तरफ देखें. न ही आपको किसी टेलिस्कोप की जरूरत है, ना दूरबीन की. बस आपकी आंखें ही काफी हैं."
आईबी/एजेए (एफएफपी)