अमेरिका में भी भूख के मारे
अमेरिका जैसे अमीर देश में भी कईयों के पास पेट भर भोजन के लिए पैसे नहीं हैं. बेहद अमीर और गरीब लोगों के बीच की खाई और गहरी हो रही है. ऐसे में राजधानी वॉशिंगटन डीसी के कुछ फूड सेंटर कई परिवारों की जीवनरेखा बन गए हैं.
तस्वीर में दिख रहे जेम्स वॉशिंगटन की मौजूदा स्थिति से बिल्कुल खुश नहीं हैं. मगर तीन साल पहले नौकरी छूट जाने और कोई दूसरा विकल्प ना होने के कारण वह यहां रहने को मजबूर हैं. वैसे तो उन्हें सरकार की ओर से हर महीने 1,200 डॉलर मिलते हैं लेकिन इतने पैसों में उनका खर्च पूरा नहीं पड़ता.
अमेरिकी राजधानी में 'कम्युनिटी फॉर क्रिएटिव नॉन-वायलेंस' बेघर लोगों के लिए सबसे बड़ा आश्रयघर चलाती है. इस सेंटर पर हर रात करीब 1,300 बेघर लोगों को सोने की जगह मिलती है. यह सेंटर अमेरिकी राजधानी में सत्ता के केंद्र यानि यूएस कांग्रेस से कुछ ही दूरी पर है.
कम आय वाले परिवारों को भोजन उपलब्ध कराने का काम करता है यह माना फूड सेंटर. 2014 में करीब 3,600 परिवार सेंटर से फूड पैकेट लिया करते हैं. 2011 में यहां से खाना लेने वालों की संख्या औसतन 3,000 हुआ करती थी. इनमें से करीब एक तिहाई लोग या तो बेरोजगार हैं या फिर बेहद बुजुर्ग. बाकी कई छोटेमोटे कामकाज करने वाले लोग हैं.
तस्वीर में दिख रही बेथ हर तीन महीने में एक बार माना फूड सेंटर का चक्कर लगाती हैं. दो छोटे लड़कों की मां बेथ के पास कोई नौकरी नहीं है और फिलहाल वह सरकार से मिलने वाले भत्ते पर ही जी रही है. इस फूड सेंटर से खाना खरीदने पर उन्हें थोड़ी मदद हो जाती है.
तस्वीर में बांई ओर दिख रही कॉर्ली पहले एक डे केयर सेंटर और मैक डॉनल्ड्स में काम करती थीं. फिर नौकरी चली जाने के बाद उन्हें दो साल तक नई नौकरी के लिए धक्के खाने पड़े. अब वह एक ग्रोसरी स्टोर में काम करती हैं पर कमाई पर्याप्त ना होने के कारण वह फूड सेंटर पर निर्भर हैं.