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कैमरा रखेगा अमेरिकी पुलिस पर नजर

८ जनवरी २०१६

अमेरिका में पुलिस पर अक्सर गैरजरूरी हिंसा के आरोप लगते हैं. वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक 2015 में पुलिस के हाथों करीब 965 संदिग्ध मारे गए. इस बहस ने पुलिस की वर्दी में ही कैमरा लगा होने के उपाय के विस्तार को जन्म दिया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Gentsch

पुलिस की भूमिका पर बहस के बीच सुझाया गया है कि देश भर में पुलिस वाले शरीर पर एक कैमरा पहन कर रखें ताकि उनकी गतिविधियों का भी रिकॉर्ड हो. जब पूर्वी अमेरिका में पुलिस हिरासत में गर्दन पर चोट लगने से मारे गए बालटिमोर के युवक के वकील ने पुलिस के शरीर पर कैमरे होने की अपील की, तो देश भर के पुलिस विभागों और अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने इस पर गौर किया. सभी पुलिसकर्मियों के शरीर पर कैमरा होने की पैरवी कर रहे वकील विलियम मर्फी जूनियर ने कहा कि अमेरिका को मौजूदा हालात को थामना होगा और पुलिसिंग की नई संस्कृति को बढ़ावा देना होगा.

मर्फी 25 वर्षीय फ्रेडी ग्रे के वकील हैं जिन्हें पुलिस ने 12 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. पुलिस की वैन में गर्दन पर चोट लगने से उनकी मौत हो गई थी. ग्रे की मौत के लिए 6 पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा चल रहा है. यह अमेरिका में 2015 में पुलिस के अत्याचार की कई कहानियों में से एक है. ज्यादातर मामलों में निहत्थे अश्वेत लोगों के पुलिस की गोली से मारे जाने की खबरें रहीं. ग्रे के मामले में पुलिस रिकॉर्डिंग मौजूद थी, लेकिन कई मामलों में ऐसा नहीं होता और पुलिस का दोष साबित करना मुश्किल हो जाता है.

2014 में सरकार की तरफ से कराए गए एक शोध के मुताबिक देश की 17,000 पुलिस एजेंसियों में से 25 फीसदी ही बॉडी कैमरे का इस्तेमाल कर रही हैं. मई में, ग्रे की मौत के महीना भर बाद ही, न्याय मंत्रालय ने स्थानीय अधिकारियों के लिए बॉडी कैमरे खरीदे जाने के लिए 2 करोड़ डॉलर के अनुदान की घोषणा की. यह इस दिशा में फंडिंग कार्यक्रम के 7.5 करोड़ डॉलर की पहली मुश्त है. राष्ट्रपति ओबामा ने इस फंडिंग की दर्खास्त अगले तीन साल में 50,000 नए बॉडी कैमरे खरीदने के लिए की थी.

बालटिमोर के मेयर ने बॉडी कैमरे के प्रारंभिक पायलट कार्यक्रम की शुरुआत कर दी है और शिकागो में बॉडी कैमरे की टेस्टिंग 6 और जिलों में की जा रही है. कैमरों की मांग सिर्फ बालटिमोर और शिकागो नहीं बल्कि अमेरिका के अन्य हिस्सों में पुलिस के दुर्व्यवहार के गवाह स्थानीय लोगों के फोन के वीडियो और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर की जा रही है. क्लीवलैंड में एक बारह साल के लड़के की पुलिस की गोली से जान चली गई थी. पुलिस उसके खिलौने की गन को असली समझ बैठी. अधिकारियों के मुताबिक इस घटना में सर्वेलेंस वीडियो मामले की जांच में बेहद मददगार साबित हुआ. क्लीवलैंड में तभी से सभी पुलिस अधिकारियों के लिए शरीर पर कैमरा पहनना जरूरी कर दिया गया है.

इस आयडिया के समर्थकों का कहना है कि उपकरण से पारदर्शिता में मदद मिलेगी. इससे लोगों का भी पुलिस पर विश्वास बढ़ेगा और जाली शिकायतों के खिलाफ प्रमाण भी होंगे. पुलिस की क्रूरता का शिकार हुए लोगों के परिवार और मित्र इस कदम के साथ बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं.

एसएफ/आईबी (डीपीए)


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