अमेरिका में गरीबी
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने सालाना भाषण में आर्थिक असमानता से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाने का एलान किया है. अमेरिका में गरीबी मिटाने का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है.
लॉस एंजेलिस में बेघर
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में गरीबी अब तक खत्म नहीं हो पाई है. आज से 50 साल पहले तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने अपने सालाना भाषण में गरीबी को उखाड़ फेंकने का ऐलान किया था. 8 जनवरी 1964 को अपने पहले सालाना भाषण में लिंडन ने गरीबी के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया था.
कोई खाना दे दो
भुखमरी का कारण गरीबी है. अमेरिका के आवास और शहरी विकास विभाग के एक शोध के मुताबिक साल 2013 में न्यू यॉर्क शहर में बेघरों की संख्या बढ़ी है. अमेरिका के बड़े शहरों में सिर्फ लॉस एजेंलिस में वृ्द्धि की प्रतिशत न्यू यॉर्क से अधिक है.
फूड बैंक
आपात खाद्य सहायता की बहुत मांग है. न्यू यॉर्क में फूड बैंक हर रोज चार लाख भूखे लोगों को शहर भर में खाना खिलाने का काम करता है.
कठिन समय
अमेरिकी जनगणना विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2009 और 2011 के बीच आई वैश्विक मंदी में करीब तीन अमेरिकियों में से एक ने गरीबी का अनुभव किया.
काम वाले गरीब
कुछ लोगों के पास नौकरी होती है लेकिन वे अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते. उन्हें गरीब कर्मी कहा जाता है. अमेरिका में न्यूनतम मजदूरी करीब 7.25 डॉलर यानी 450 रुपये है. साल 2013 में गैलॉप के एक सर्वे से पता चला कि अमेरिका के 20 फीसदी वयस्क साल के किसी एक समय में पर्याप्त भोजन खरीदने के लिए जद्दोजहद करते रहे.
विशेष दावत
खाने का यह कूपन मुफ्त में मिला है. थैंक्सगिविंग डे के मौके पर टर्की खाने में दिया जाता है. जिनकी स्थिति खराब है उनके लिए यह वरदान साबित होता है. न्यू यॉर्क शहर में भूख के खिलाफ गठबंधन के मुताबिक पिछले साल घरों में रहने वालों के छठे हिस्से को पर्याप्त खाना नहीं मिल सका.
उम्मीद की खुराक
वॉशिंगटन में मन्ना फूड सेंटर हर महीने जरूरतमंदों को खाने के पैकेट देता है. सहायता पाने वालों में कई परिवार हैं. दुनिया के सबसे अमीर देश में एक करोड़ छह लाख बच्चे गरीब हैं. वे असंगत रूप से गरीब अमेरिकियों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
आसमान पर मदद की मांग
साल 2012 में करीब चार करोड़ 70 लाख अमेरिकी गरीबी से प्रभावित हुए. इनमें एक करोड़ 30 लाख बच्चे भी शामिल हैं. मंदी के पहले अमेरिका के फूड स्टैंप प्रोग्राम के तहत 26 लाख व्यक्तियों को अनुमोदित खाद्य सामग्री सरकारी सब्सिडी के साथ मिली थी. यह आंकड़ा 2010 के बाद से तेजी से बढ़ा है.