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अमेरिका में कई दूतावासों के खाते बंद

१४ जनवरी २०११

अमेरिका में तैनात कई विदेशी राजनयिकों ने शिकायत की है कि बैंकों ने उनके खाते बंद कर दिए हैं. कई बैंकों ने राजनयिक मिशनों के खाते बंद करने का एलान किया है.

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तस्वीर: AP

बैंकों का यह फैसला कई देशों के लिए सिरदर्द बन गया है क्योंकि उनका कामकाज प्रभावित हो रहा है. कई राजनयिकों ने तो अन्य बैंकों से बातचीत भी शुरू कर दी है. इन देशों का कहना है कि इस कदम से संयुक्त राष्ट्र की फंडिंग भी प्रभावित हो सकती है.

यह कदम उठाने वाले बैंकों में जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी का सहयोगी बैंक चेज भी शामिल है. उसने 30 सितंबर को कई दूतावासों को पत्र भेजकर बताया कि उसने राजनयिक और विदेशी मिशनों के खाते संभालने वाली अपनी शाखा बंद करने का फैसला किया है. पत्र में इस फैसले को व्यापारिक फैसला बताया है.

चेज की प्रवक्ता थॉमस कैली ने बैंक के फैसले पर किसी भी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया. यह फैसला 31 मार्च को लागू होना है. इस फैसले से राजनयिकों के निजी खातों पर असर नहीं पड़ेगा लेकिन दूतावासों के खाते प्रभावित होंगे. न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन और अन्य अमेरिकी शहरों के कई दूतावासों को इस फैसले ने परेशान कर दिया है.

पिछले साल नवंबर में इस बारे में खबर देने वाले अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने कहा है कि यह फैसला बैंकों पर कई देशों की सरकारों के धन को लेकर नियम कानूनों के बढ़ते दबाव की वजह से लिया गया है.

इस बारे में गुरुवार को करीब 150 राजदूतों ने अमेरिकी सरकार से बातचीत की और अपनी शिकायत दर्ज कराई. उनका कहना है कि वे नए बैंकों की तलाश कर रहे हैं लेकिन फिलहाल उन्हें कोई सफलता नहीं मिली है. अगर 31 मार्च से पहले यह समस्या हल नहीं हो पाती है तो दूतावासों के सामने कई समस्याएं खड़ी हो जाएंगी. मसलन वे अपने कर्मचारियों को तन्ख्वाह ही नहीं दे पाएंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ईशा भाटिया

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