अमेरिका के दौरे पर मोदी
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा दुनिया भर की मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है. अमेरिका में करीब 33 लाख भारतीय रहते हैं और वे भी मोदी का इंतजार कर रहे हैं. देखते हैं इस दौरे से जुड़ी कुछ अहम बातें.
गांधी और अमेरिका
दुनिया के किसी भी दूसरे देश की तरह अमेरिका में भी भारत की पहचान महात्मा गांधी से होती है. राजधानी वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास के सामने गांधी की यह मूर्ति भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजकीय दौरे के वक्त 2000 में लगाई गई, जहां उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी मौजूद थे.
प्रधानमंत्री का दौरा
भारत के लगभग हर प्रधानमंत्री ने अमेरिका का दौरा किया है. गुजरात के 2002 वाले दंगों की वजह से अमेरिका लंबे वक्त तक नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इंकार करता रहा. लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बाहें खोल कर उनका स्वागत किया और उन्हें अमेरिका आने का दावत दिया.
यूएन में भाषण
भारत सरकार ने पुष्टि की है कि प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र को हिन्दी में संबोधित करेंगे. इससे पहले विदेश मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी 1979 में वहां हिन्दी में भाषण दे चुके हैं. मोदी 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र में भाषण देने वाले हैं.
टाइम्स स्कैवर पर जलवा
प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क के सबसे प्रसिद्ध इलाके मैनहैटन के मैडिसन स्कैवयर में करीब 18,000 लोगों को संबोधित करेंगे. उनके भाषण को दिखाने के लिए जगह जगह विशाल स्क्रीन लगाई जा रही है. बरसों से अमेरिका में रह रहे डॉक्टर दिनेश पटेल कहते हैं, "भारतीय डायसपोरा को इस (मोदी) प्रशासन से बहुत उम्मीद है कि वह लोगों पर ध्यान देगा."
भारत का खाना
न्यूयॉर्क की आबादी में लगभग 2.4 प्रतिशत भारतीय हैं और यहां भारत का खाना बहुत पसंद किया जाता है. करीब 80 लाख लोगों वाले इस विशालकाय शहर में चारों तरफ 100 से ज्यादा भारतीय रेस्त्रां फैले हैं, जिनकी ऑनलाइन रेटिंग और रिव्यू चलती रहती है.
भारत और अमेरिका
राष्ट्रपति बनने के बाद से बराक ओबामा ने बार बार भारत का महत्व खास तौर पर जताया है. वह कई बार कह चुके हैं कि वह मार्टिन लूथर किंग के अलावा महात्मा गांधी से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं. पिछले दिनों व्हाइट हाउस में दीवाली का त्योहार भी मनाया गया, जिसके लिए खास तैयारियां की गई थीं.
सॉफ्टवेयर इंडिया
पिछले दो दशकों में इंटरनेट बूम के साथ भारत की अमेरिका में अलग पहचान बनी है. कई इंटरनेट कंपनियों की बागडोर भारतीयों के हाथों में है, जिनमें माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला भी शामिल हैं, जो हाल ही में कंपनी के सीईओ बने हैं. इसके अलावा गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों में भी भारतीयों की खासी पैठ है.
ड्रीमवर्क्स स्टूडियो
फिल्मों के स्वर्ग हॉलीवुड में भारतीय कंपनी रिलायंस ने हाल में विशाल निवेश करके देश की अलग तरह की पहचान बनाई है. उसने स्टीवन स्पीलबर्ग जैसे दिग्गज के साथ मिल कर ड्रीमवर्क्स स्टूडियो खड़ा किया है, जो हाल के दिनों में साझीदारी पर फिल्मों का प्रोडक्शन कर रही है.
अमेरिका में सिख
2007 के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में 250,000 सिख रहते हैं. दो साल पहले विस्कॉन्सिन में एक गुरुद्वारे पर हमले की वजह से अमेरिकी सिख चर्चा में आए थे. हालांकि इसके अलावा भी वे अपने अधिकारों के लिए कई बार अमेरिका की सड़कों पर उतर चुके हैं. दूसरी तरफ सैकड़ों सरकारी संगठनों में सिख अहम पदों पर भी पहुंच चुके हैं.
मुश्किल में कूटनीति
भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को न्यूयॉर्क में गिरफ्तार किए जाने की वजह से भारत और अमेरिका के राजनयिक रिश्ते बेहद खराब हुए. लेकिन अब भारत में सरकार बदल चुकी है और अमेरिका नई सरकार के साथ नई शुरुआत की कोशिश कर रहा है.
प्रीत भरारा
यह भी संयोग ही है कि न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के अटॉर्नी जनरल प्रीत भरारा भी भारतीय मूल के ही हैं. उन्होंने खोबरागड़े मामले में उनके खिलाफ मुकदमा लड़ा था और इस वजह से वह सुर्खियों में आए.