अमेरिका और घाना में फुटबॉल का घमासान
२६ जून २०१०वर्ल्ड कप कहीं खुशी की बाढ़ तो कहीं गम का पहाड़ लेकर आया है. लातिन अमेरिका में फुटबॉल का दीवानापन उछाल मार रहा है क्योंकि पांचों टीमें अगले दौर में पहुंच गई है. चिली आखिरी मैच में स्पेन से हार भले ही गया हो लेकिन फिर भी अंतिम 16 में पहुंच ही गया.
लेकिन अफ्रीका में मायूसी है. वर्ल्ड कप खेलने के लिए उतरी छह में से पांच अफ्रीकी टीमें पहले दौर में ही बाहर हो गई हैं और इनमें मजबूत समझे जाने वाली आइवरी कोस्ट की टीम भी है.
एकमात्र अफ्रीकी चुनौती घाना के खिलाड़ी दबाव में होंगे लेकिन इसी दबाव में जोश भी घुला होगा. घाना ने वर्ल्ड कप में दो गोल किए लेकिन दोनों पेनल्टी के जरिए किए गए. इस मैच में घाना यह आंकड़ा बदलना चाहेगा.
अमेरिका ने वर्ल्ड कप में बढ़िया खेल दिखाया है और टीम संगठित नजर आ रही है. घाना के सर्बियाई कोच मिलोवान रायेवेच का कहना है कि वह बेहद भावुक हैं और उन्हें उम्मीद है कि दक्षिण अफ्रीकी समर्थकों से टीम को फायदा मिलेगा.
वैसे अफ्रीकी टीमों की विफलता ने अफ्रीकी फुटबॉल के लिए नए सिरे से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. विश्लेषकों का मानना है कि अगर कुछ बड़े अफ्रीकी खिलाड़ी यूरोपीय फुटबॉल लीग में खेलते भी हैं तो भी इससे अफ्रीकी देशों की राष्ट्रीय टीमों को फिलहाल फायदा नहीं हुआ है. वर्ल्ड कप से बाहर होने वाली आखिरी अफ्रीकी टीम आइवरी कोस्ट की है. उत्तर कोरिया को 3-0 से हराने के बावजूद टीम बाहर हो गई.
अगर घाना यह मैच जीत जाती है तो कैमरून और सेनेगल की तरह वह भी एक रिकॉर्ड कायम करेगी. कैमरून ने 1990 और सेनेगल ने 2002 वर्ल्ड कप के क्वार्टर फाइनल तक पहुंच कर तहलका मचाया था.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: उ भ