अमेजन को टक्कर
३० जुलाई २०१४ई कॉमर्स में काम करने वाली फ्लिपकार्ट का कहना है कि उसने 60 अरब रुपये (एक अरब रुपये) जुटा लिए हैं और इस काम में सिंगापुर की जीआईसी कंपनी भी उसका साथ दे रही है. कभी दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन शॉप अमेजन में काम करने वाले सचिन और बिन्नी बंसल ने भारत में 2007 में फ्लिपकार्ट की शुरुआत की. इसकी कामयाबी की वजह से इसे भारत की अमेजन भी कहा जाने लगा है.
सचिन बंसल का कहना है, "हमारी ताजा फंडिंग ई कॉमर्स के बाजार में एक बड़ी उपलब्धि है. बहुत कम इंटरनेट कंपनियां इस तरह सार्वजनिक तौर पर इतने पैसे जुटा पाती हैं." भारत में ऑनलाइन बाजार बढ़ रहा है और पिछले साल करीब 2.3 अरब डॉलर का कारोबार हुआ है. बंसल की कंपनी फ्लिपकार्ट ने म्यूजिक और किताबों के साथ अपना बिजनेस शुरू किया था. लेकिन उन्होंने बहुत तेजी से दूसरी चीजों को भी बेचना शुरू किया. उनका कहना है कि इस तरह की फंडिंग से यह साफ है कि भारत में भी कई अरब डॉलर की कंपनियां बन सकती हैं.
टेक्नोपैक की एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट प्रज्ञा सिंह का कहना है कि निवेशक इस बात को समझ रहे हैं कि वे जिस कंपनी में निवेश कर रहे हैं, उन्हें मदद की भी जरूरत है. इससे पहले फ्लिपकार्ट को न्यूयॉर्क की टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट एलएलसी का समर्थन मिला था. उसने इसी साल एलान किया कि वह एक अरब डॉलर के निशान को पार कर चुकी है. उसका कहना है कि उसके 2.2 करोड़ रजिस्टर्ड यूजर हैं और वह हर महीने 50 लाख पैकेट की डिलीवरी करता है.
मई में फ्लिपकार्ट ने अपनी प्रतिद्वंद्वी मिन्त्रा को खरीद लिया, जो भारत में फैशन की दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन दुकान थी. वहां क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वालों की संख्या बहुत कम है और कई लोग कार्ड होते हुए भी उसका इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं. फ्लिपकार्ट की सबसे बड़ी खूबी "पे ऑन डिलीवरी" है, यानि डिलीवरी के वक्त पेमेंट किया जा सकता है.
अमेरिकी कंपनी अमेजन भारत में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रही है. वह पिछले साल ही भारतीय बाजार में उतरी है और वहां भारी इश्तिहार देने के अलावा ऑर्डर वाले दिन ही डिलीवरी का भी वादा कर रही है. उसने एलान किया है कि वह भारत में बड़े गोदाम भी बनाने वाली है.
टेक्नोपैक की सिंह कहती हैं कि भारत में ई कॉमर्स की कामयाबी बहुत हद तक मोबाइल फोन से जुड़ी है. भारत में ज्यादातर लोग मोबाइल से ही इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं.
एजेए/एमजी (एएफपी, एपी)