अभिनय मेरा नशा है: रिचा शर्मा
२० जुलाई २०१४रिचा के लिए अभिनय एक नशा है. वह शादी के बाद कोलकाता में ही रहती हैं. इस फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में अपने शहर पहुंची इस अभिनेत्री ने डॉयचे वेले के कुछ सवालों के जवाब दिए. पेश हैं उसके मुख्य अंश..
डॉयचे वेले: आमतौर पर हिन्दी फिल्मोद्योग में अभिनेत्रियां करियर पटरी पर आने के बाद ही शादी करती हैं. लेकिन आपने उल्टी राह क्यों चुनी?
रिचा शर्मा: हिन्दी फिल्मों में भी अब स्थिति बदल रही है. पहले शादी का मतलब अभिनेत्री का करियर ढलान पर माना जाता था. लेकिन अब बहुत सी अभिनेत्रियां शादी के बाद भी फिल्मों में काम कर रही हैं. मेरे मामले में संयोग ही कुछ ऐसा था कि शादी के बाद ही फिल्मी करियर शुरू हुआ.
क्या अभिनय को करियर बनाने के बारे में सोचा था?
कई सालों तक मॉडलिंग के बाद अभिनय के क्षेत्र में उतरना तो स्वाभाविक था. हां, इसका मौका मिला गोविंदा के जरिए. उन्होंने मुझे इस फिल्म का ऑफर दिया और बस गाड़ी चल निकली. इससे पहले मैं अपने मॉडलिंग के करियर से ही संतुष्ट थी.
पहली फिल्म में काम करने का अनुभव कैसा रहा?
मॉडलिंग के दौरान तो कैमरे का सामना दर्जनों बार किया था. इसलिए पहली बार कैमरे का सामना करते समय नर्वस नहीं हुई. लेकिन मॉडलिंग और फिल्में दोनों अलग चीजें हैं. गोविंदा जैसे कलाकार के साथ होने की वजह से मुझे शूटिंग के दौरान कोई दिक्कत नहीं हुई. उन्होंने मुझमें भरोसा जताया और इसी वजह से मेरे फिल्मी करियर की शुरूआत हुई. वह हर कदम पर मुझे प्रोत्साहित करते रहे. हमने यह फिल्म 29 दिनों की शूटिंग में पूरी की है.
इस फिल्म में आपका किरदार कैसा है?
मैंने 'अभिनय चक्र' में एक अंधी महिला का चुनौतीपूर्ण किरदार निभाया है जो गोविंदा की पत्नी है. लेकिन इस किरदार के साथ एक रहस्य भी जुड़ा है. मैंने अपनी ओर से काफी मेहनत की है. अब बाकी दर्शकों पर निर्भर है कि उनको मेरा किरदार कैसा लगता है.
यह फिल्म कैसी है?
वैसे तो यह बालीवुड की मसाला फिल्म ही है. लेकिन इसमें युवा पीढ़ी के लिए खास संदेश है.
फिल्मों में काम करने के प्रति आपके पति का नजरिया कैसा रहा?
मुझे अपने घरवालों का काफी समर्थन मिला. पति मनीश शर्मा के समर्थन के बिना फिल्मों में काम करना संभव ही नहीं था. वैसे शुरुआती दौर में शिक्षक के तौर पर काम करने की वजह से मैंने हमेशा अपना लक्ष्य हासिल करना सीखा था.
जीवन के प्रति आपका नजरिया क्या है?
मेरा मूल मंत्र है कि कोई भी काम ईमानदारी और दिल से करना चाहिए. यही दोनों चीजें जीवन में कामयाबी और नई ऊंचाइयों तक पहुंचाती हैं.
भावी योजनाएं क्या हैं?
फिलहाल तो पहली फिल्म पर दर्शकों की प्रतिक्रिया का बेसब्री से इंतजार है. उसके बाद ही आगे की सोची जाएगी.
रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता
संपादन: ईशा भाटिया