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ममता ने लगाया तख्तापलट का आरोप

प्रभाकर मणि तिवारी
२ दिसम्बर २०१६

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत राज्य के विभिन्न शहरों में नेशनल हाइवे पर स्थित टोल प्लाजा (चुंगी नाका) पर सेना की तैनाती के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच नए सिरे से ठन गई है.

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Demonstration in Kalkutta
तस्वीर: DW/S. Bandopadhyay

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नोटबंदी के खिलाफ पहले से ही देशव्यापी आंदोलन चला रही हैं. अब बृहस्पतिवार रात को टोल प्लाजा पर अचानक उतरी सेना के सवाल पर ममता ने केंद्र पर राज्य में तख्तापलट की कोशिश का आरोप लगाते हुए कहा है कि यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण है. दूसरी ओर, सेना ने इसे रूटीन अभ्यास बताते हुए कहा है कि बंगाल पुलिस को पहले से ही इसकी सूचना दे दी गई थी. सेना के सड़क पर उतरने के विरोध में ममता ने बृहस्पतिवार रात राज्य सचिवालय नवान्न में ही गुजारी. इस मुद्दे पर विपक्ष ने शुक्रवार को संसद में जमकर हंगामा किया. विवाद बढ़ता देख कर सेना को इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस बुला कर सफाई देनी पड़ी.

ममता की नाराजगी बढ़ी

ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ पहले दिन से ही देशव्यापी अभियान छेड़ रखा है. उन्होंने केंद्र और नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रैली की है और अब पंजाब जाएंगी. उन्होंने प्रधानमंत्री पर देश में आर्थिक आपातकाल लागू करने और आम लोगों पर भरोसा नहीं करने का आरोप लगाया है. अभी यह विवाद थमा भी नहीं था कि बृहस्पतिवार शाम को सेना तमाम शहरों में हाइवे पर बने टोल प्लाजा पर वाहनों की जांच करने तैनात कर दी गई. इनमें से एक टोल प्लाजा राज्य सचिवालय के ठीक सामने है. इसने ममता की नाराजगी की आग में घी डालने का काम किया. उन्होंने केंद्र पर सेना के जरिए तख्तापलट की कोशिश का आरोप लगाते हुए एलान किया कि सेना नहीं हटने तक वह सचिवालय में ही रहेंगी. ममता के कड़े रुख को देखते हुए देर रात सेना वहां से हटा दी गई. लेकिन ममता ने रात सचिवालय में ही गुजारी. मुख्यमंत्री का दावा था कि सेना को राज्य सरकार को सूचित किए बिना ही तैनात किया गया है. यह अभूतपूर्व और बेहद गंभीर मामला है.

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने सरकार से सलाह लिए बिना विभिन्न हिस्सों में सेना की तैनाती की कड़ी निंदा करते हुए सवाल किया कि केंद्र सरकार कहीं राज्य में आपातकाल तो लागू नहीं कर रही है? उन्होंने इसे राजनीतिक और बदले की भावना से प्रेरित एक असंवैधानिक कदम करार दिया है.

सेना की सफाई

इस मुद्दे पर बढ़ते विवाद की वजह से शुक्रवार को सेना की ओर से ममता के तमाम आरोपों को निराधार करार देते हुए संबधित दस्तावेज जारी किए गए. सेना ने इसे एक रूटीन अभ्यास बताते हुए उस पत्र की प्रति जारी की है जिसमें राज्य पुलिस से उक्त कार्रवाई के लिए अनुमति मांगी गई थी. सेना ने यह पत्र बीते 23 नवंबर को कोलकाता पुलिस को भेजा था. कोलकाता पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (एसीपी) सुप्रतिम सरकार ने 25 नवंबर को इसका जवाब दिया था. पुलिस ने कहा था कि सेना कोलकाता के जिस सचिवालय इलाके में रूटीन अभ्यास करना चाहती है वहां ट्रैफिक ज्यादा है और वह इलाका उच्च-सुरक्षा वाला है. ऐसे में वहां इसके लिए अनुमति नहीं दी जा सकती.

इससे पहले कल रात सेना की पूर्वी कमान के प्रवक्ता विंग कमांडर एसएस बिरदी ने इसे एक रूटीन अभ्यास बताया था ताकि आपात स्थिति में सामान और दूसरी वस्तुओं की ढुलाई के लिए उपलब्ध वाहनों की तादाद का अनुमान लगाया जा सके. इन आरोपों और संसद में हंगामे के बाद इस पर बंगाल एरिया के जीओसी मेजर जनरल सुनील यादव ने तृणमूल कांग्रेस के सभी आरोपों का खंडन किया और अपने बयान के समर्थन में दस्तावेजी सबूत भी पेश किए. इन दस्तावेजों से साफ है कि सेना ने अपने रूटीन अभ्यास से पहले स्थानीय प्रशासन और पुलिस को सूचित किया था.

संसद में हंगामा

बंगाल में सेना की तैनाती के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी राजनीतिक दलों ने शुक्रवार को संसद में जमकर हंगामा किया. तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, "हम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी इसकी जानकारी देंगे." पार्टी ने लोकसभा में इसे एक साजिश करार देते हुए इस मुद्दे पर सरकार और पुलिस को भरोसे में नहीं लेने का आरोप लगाया. तृणमूल सांसदों ने इस मुद्दे पर सरकार से बयान देने की भी मांग की.

ध्यान रहे कि इससे पहले बृहस्पतिवार को भी तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी की सुरक्षा को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा किया था. पार्टी का आरोप था कि ममता की हत्या के लिए जानबूझ कर उस विमान को खतरे में डालने की कोशिश की गई जिसमें ममता बनर्जी पटना से कोलकाता लौट रही थीं.

दूसरी ओर, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने तृणमूल के आरोपों को गलत बताया है. उन्होंने लोकसभा में कहा, "तृणमूल कांग्रेस ने राजनीतिक हताशा की वजह से एक रूटीन अभ्यास पर बेवजह विवाद पैदा कर दिया है. यह सही नहीं है." पर्रिकर का कहना था कि बिहार, उत्तर प्रदेश व झारखंड के बाद अब बंगाल में उक्त अभ्यास किया गया. इसका मकसद मालवाही वाहनों के आंकड़े जुटाना है. रक्षा मंत्री ने कहा कि बीते साल भी यह अभ्यास हुआ था. इस साल इसे 28-29 नवंबर को किया जाना था. लेकिन पुलिस की सलाह पर इसकी तारीख आगे बढ़ाई गई थी. उनका आरोप था कि ममता बनर्जी इस मुद्दे पर बेवजह विवाद पैदा कर रही हैं.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि नोटबंदी के फैसले के बाद केंद्र और राज्य सरकार के बीच पनपी कड़वाहट अभी और बढ़ने का अंदेशा है.