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अब नक्शा बताएगा संवेदनशील इलाकों का पता

प्रभाकर२२ सितम्बर २०१६

भारत के लगभग 59 फीसदी इलाके भूकंप के प्रति संवेदनशील हैं. संवेदनशील इलाकों के ताजा नक्शे में यह खुलासा किया गया है. नक्शे में संवेदनशीलता के लिहाज से पूरे देश को चार हिस्सों में बांटा गया है.

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Indien Erdbeeben in Imphal
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/W. Ngashangva

नक्शे को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) और बिल्डिंग मैटीरियल्स एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन काउंसिल (बीएमटीपीसी) ने मिल कर तैयार किया है. यह नक्शा शीघ्र ही मोबाइल फोन के ऐप के तौर पर भी उपलब्ध होगा. इससे लोग जान सकेंगे कि उनके घर या दफ्तर पर भूकंप का कितना खतरा है. इससे खासकर भूकंप के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील पूर्वोत्तर भारत में आम लोगों को बचाव की योजना बनाने में काफी सहायता मिलेगी.

नक्शे का फायदा

इस नक्शे में संवेदनशील इलाकों को कलर कोड के जरिए दर्शाया गया है. इसमें ब्लॉक स्तर तक का ब्योरा है. केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने नक्शे को जारी करने के मौके पर कहा, "नक्शे को शीघ्र डिजिटल रूप में पेश किया जाएगा और इसका मोबाइल ऐप लांच किया जाएगा. इससे हर व्यक्ति को फायदा होगा." उन्होंने कहा कि इससे योजना बनाने वालों को तो मदद मिलेगी ही, आम लोगों को यह दिशानिर्देश भी मिल सकेगा कि भूकंप की स्थिति में ऐहतियाती कदम कैसे उठाए जाएं.

इस नक्शे से जिला प्रशासन को भी जिले के सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाकों का पता लगाने में सहूलियत होगी. इसके आधार पर बचाव के उपाय तय किए जा सकते हैं. इससे जहां भूकंप की स्थिति में नुकसान कम किया जा सकेगा वहीं एक चेतावनी प्रणाली भी लगाई जा सकेगी. जिला प्रशासन इसके आधार पर संबंधित इलाकों में होने वाले नए निर्माण को भूकंपरोधी बनाने के लिए नए नियम बना सकता है.

चार जोन में देश

नक्शे में संवेदनशीलता के लिहाज से देश को चार हिस्सों में बांटा गया है. जोन-2 में शामिल इलाकों में भूकंप की स्थिति में सबसे कम नुकसान होने का अंदेशा है और जोन-5 में शामिल इलाकों में सबसे ज्यादा नुकसान का. बीएमटीपीसी के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर शैलेश अग्रवाल ने बताया, "इससे लोगों को यह पता चल जाएगा कि उनका इलाका भूकंप के प्रति संवेदनशील है या नहीं. ऐसे में वह मकान बनाते समय उसे भूकंपरोधी बनाने के लिए जरूरी सामग्री का इस्तेमाल कर सकते हैं."

ऐसा एक नक्शा पहले भी था, लेकिन नए नक्शे की खासियत यह है कि इसमें पहली बार जिला व ब्लॉक स्तर की संवेदनशीलता को दर्शाया गया है. फिलहाल यह नक्शा बीएमपीटीसी और एनडीएमए की वेबसाइट पर उपलब्ध है. इसे जल्दी ही देश के हर जिलों में बांटा जाएगा.

जोन-2 और 3 में मध्यभारत के हिस्से शामिल हैं. जोन-4 में गुजरात, उत्तर प्रदेश व दिल्ली के अलावा लगभग पूरी कश्मीर घाटी को शामिल किया गया है. सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाकों यानी जोन-5 में पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा कश्मीर के कुछ हिस्सों, नेपाल से सटे पश्चिम बंगाल व बिहार के सीमावर्ती इलाकों और गुजरात के भुज इलाके को रखा गया है. नायडू का कहना है कि अब इस नक्शे की सहायता से भूकंप के बाद महज सहायता के लिए सरकार व गैरसरकारी संगठनों का मुंह ताकने की बजाए संबंधित इलाके के लोग समय रहते खुद ही भूकंप से बचाव के लिए ऐहतियाती उपाय कर सकते हैं.