"अब तक का सर्वश्रेष्ठ वर्ल्ड कप"
३ जुलाई २०१४एक्सपर्टों की भी ऐसी ही राय है. गेरार्ड हूलियर का कहना है, "फुटबॉल की गुणवत्ता और मनोरंजन के लिहाज से यह अब तक का सबसे अच्छा कप है." उधर संडे ओलिश कहते हैं, "खेल की क्वालिटी को लेकर तो मैं सबमें हैरान हूं." इन दोनों शख्सियतों को पता है कि वे क्या कह रहे हैं. हूलियर इंग्लिश क्लब लीवरपूल के पूर्व कोच हैं और उन्होंने नौ वर्ल्ड कप फॉलो किए हैं. ओलिश नाइजीरिया के पूर्व राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी हैं, जो 63 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं. दोनों ही अब अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संघ फीफा के तकनीकी स्टडी ग्रुप के सदस्य हैं.
वर्ल्ड कप के सबसे अहम आठ मैच अभी बचे हुए हैं और अब तक 154 गोल हो चुके हैं. 16 साल पहले फीफा ने वर्ल्ड कप में शामिल होने वाली टीमों की संख्या 32 की थी और उसके बाद किसी एक टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 171 गोल हुए हैं. यह रिकॉर्ड इस बार टूटता दिख रहा है.
नई पीढ़ी का वर्ल्ड कप
जानकारों का कहना है कि कई पहलू हैं, जिनकी वजह से इतने गोल हो रहे हैं. हूलियर कहते हैं कि एक वजह तो यह कि ब्राजील का वर्ल्ड कप ऐसी पीढ़ी खेल रही है, जिसमें शानदार स्ट्राइकर हैं. इनमें मेसी और नेमार तो हैं ही लेकिन अब कोलंबिया के खामेस रोड्रिगेज के रूप में नया स्टार भी उभरा है. उन्होंने चार मैच में पांच गोल किए हैं और इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा गोल उन्हीं के नाम है. खास तौर पर उरुग्वे के खिलाफ किया गया उनका गोल टूर्नामेंट के अब तक के बेहतरीन गोल में गिना जा रहा है.
इस बार ज्यादातर टीमें दो या तीन फॉरवर्ड के साथ खेल रही हैं और इसकी वजह से भी ज्यादा गोल हो रहे हैं. क्लासिक फुटबॉल में एक ही स्ट्राइकर हुआ करता था. कोचों को समझ आ गया है कि आक्रमण करने से फायदा होता है. दूसरी वजह कम वक्त खराब करना भी है. हूलियर कहते हैं, "फुटबॉल का जादुई पल वह होता है, जब एक टीम बॉल खोती है और दूसरी इसे लेकर तेजी से बढ़ती है क्योंकि समय और जगह बहुत कम होती है. कुछ मैच तो बास्केटबॉल की तरह लग रहे हैं, जहां गेंद पलक झपकते एक छोर से दूसरी छोर तक पहुंच रही है." प्री क्वार्टर फाइनल में अर्जेंटीना के एंजेल डी मारिया का गोल इसी श्रेणी में रखा जा सकता है.
गर्मी का डर खारिज
ओलिश का कहना है कि लोगों को डर था कि गर्मी की वजह से खेल खराब होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बेल्जियम और अमेरिका के बीच पूरे दो घंटे लगातार खेल हुआ लेकिन खिलाड़ियों में ऊर्जा की कमी नहीं दिखी. ओलिश कहते हैं, "जब मैं खेलता था, फिटनेस बनाए रखना ही सबसे बड़ी चुनौती थी. आजकल खास ट्रेनिंग दी जा रही है."
इसके अलावा इंटरनेट ने भी खेल को बेहतर बनाया है. मिसाल के तौर पर कई टीमों ने यह जाना कि जर्मन टीम का खान पान कैसा होता है. इन सबके ऊपर फीफा के कुछ नए नियम हैं, जो हाल के दिनों में लागू हुए हैं और जिनकी वजह से खेल ज्यादा आक्रामक हुआ है. यह मनोरंजन की एक वजह है.
नए नियमों में एक "लास्ट डिफेंडर" नियम है, जिसके तहत अगर गोल करने की स्थिति में बढ़ रहे किसी खिलाड़ी को विरोधी पक्ष का आखिरी डिफेंडर फाउल करता है, तो उसे सीधे रेड कार्ड दिखा दिया जाता है.
एजेए/एएम (डीपीए)