अफ़ग़ानिस्तान से वापसी की तैयारी शुरू
२३ अप्रैल २०१०अफ़ग़ानिस्तान में अपने सैनिकों को तैनात करने वाले नैटो के अधिकांश देशों पर सैनिकों को वापस घर बुलाने का दबाव है. पिछले सप्ताहों में लड़ाई में सात जर्मन सैनिकों की मौत के बाद जर्मन सरकार पर भी दबाव बढ़ गया है. विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने तो वापसी का कार्यक्रम भी तय कर लिया है. "हम लम्बे समय तक अफ़ग़ानिस्तान में नहीं रहना चाहते. इसका मतलब है कि हम इस साल, साल के अंत में क्रमिक रूप से सुरक्षा ज़िम्मेदारी सौंपने की शुरुआत करना चाहते हैं."
जर्मन विदेश मंत्री चाहते हैं कि अगले साल तक अफ़ग़ान सुरक्षा बलों को ज़िम्मेदारी इस हद तक सौंप दी जाए कि पहली बार जर्मन सैनिकों को वापस किया जा सके. लक्ष्य है कि 2014 तक पूरी ज़िम्मेदारी संभालने का अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करज़ई का लक्ष्य पूरा हो सके.
इस समय अफ़ग़ानिस्तान में तैनात 1 लाख 2 हज़ार नैटो सैनिकों की संख्या 2011 के अंत से वहां घटायी जाएगी जहां अफ़ग़ान सैनिक और पुलिसकर्मी सुरक्षा संभालने की स्थिति में होंगे. ठोस फ़ैसला नवम्बर में लिसबन में होने वाले नैटो सम्मेलन में लिए जाने की उम्मीद है. राष्ट्रीय सरकारें इस तरह की योजनाएं बना रही हैं, लेकिन नैटो के महासचिव आंदर्स रासमुसेन को यह कतई पसंद नहीं है. उनका कहना है कि सैनिक तब तक तैनात रहेंगे जब तक ज़रूरी होगा. "हम आपको आश्वस्त कर सकते हैं कि वापसी शर्तों के साथ जुड़ी होगी न कि कैलेंडर द्वारा संचालित होगी."
नैटो सुरक्षा ज़िम्मेदारी अफ़ग़ान सैनिकों को सौंपना तो चाहती है लेकिन तब जब यह पक्का हो जाए कि वे मुख्य ज़िम्मेदारी उठाने में सक्षम हैं. मुख्य ज़िम्मेदारी की बात महत्वपूर्ण हैं क्योंकि नैटो की सेना अफ़ग़ानिस्तान में तब भी बनी रहेगी जब ज़िम्मेदारी अफ़ग़ान सैनिकों को दे दी जाएगी.
नैटो के विदेशमंत्रियों ने रूस के साथ संबंधों और परमाणु निरस्त्रीकरण पर भी चर्चा की लेकिन सबसे अप्रत्याशित रहा बोज़निया हैर्त्सेगोविना को सदस्यता के लिए कार्ययोजना की पेशकश. इस योजना को सदस्यता की पूर्वशर्त माना जाता है. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने इस पेशकश से नैटो की उम्मीदों के बारे में कहा, "हमने ऐसा इस उम्मीद में किया है कि इससे महत्वपूर्ण सुधारों में तेज़ी आएगी और यह बोज़नियाई संस्थानों को मजबूत बनाने में योगदान देगा."
इस कार्ययोजना के प्रभावी होने से पहले बोज़निया हैर्त्सेगोविना में शामिल सर्ब रिपब्लिक और बोज़निया-क्रोएट संघ को पूर्व युगोस्लाविया के समय के सैनिक परिसरों को केंद्रीय सरकार को देना होगा. इससे अस्थिरता का सामना कर रहे राज्य को सुदृढ़ बनाने में मदद मिलेगी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: आभा मोंढ़े