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अपशब्द न बकने से हार रहे हैं ऑस्ट्रेलियाई

२२ दिसम्बर २०१०

क्रिकेट जगत में अपने दबदबे का आदी हो चुके ऑस्ट्रेलियाई प्रशंसक अपनी टीम के प्रदर्शन में आ रही गिरावट को देखकर हैरान है. अब एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मैदान पर अपशब्द न बकने के चलते ही प्रदर्शन खराब हुआ है.

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कंगारुओं की टीमतस्वीर: AP

ऑस्ट्रेलियाई टीम को मैदान पर विपक्षी खिलाड़ियों को अपने उग्र तेवरों से नीचा दिखाने और डराने धमकाने के लिए जाना जाता था. ऑस्ट्रेलियाई के तेज गेंदबाज विपक्षी बल्लेबाजों को गेंद फेंकते फेंकते अपशब्द बकने से नहीं हिचकते. ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन के चीफ एक्जीक्यूटिव पॉल मार्श का कहना है कि अपने इसी स्वभाव को बरकरार न रख पाने की वजह से उनके प्रदर्शन पर गलत असर पड़ रहा है.

मार्श ने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड अखबार को बताया कि टीम के प्रदर्शन में गिरावट इसलिए आई है क्योंकि भारत के खिलाफ 2008 में सिडनी टेस्ट में जैसा उनका रवैया रहा उसके बाद उन्हें तेवर नरम करने और मैदान में अपशब्द न कहने के लिए कहा गया. मार्श के मुताबिक ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को चेतावनी दी गई थी कि उन्हें अपने तेवरों में नरमी लानी है. लेकिन खिलाड़ियों पर इसका गलत असर पड़ा और वह अपने स्वभाव को जबरदस्ती काबू में रखने की कोशिश करने लगे.

Kricket Australien England
नहीं चल रहा पोंटिंग का जादूतस्वीर: AP

मार्श का मानना है कि विपक्षी टीमों ने खिलाड़ियों की इस कमजोरी का जमकर फायदा उठाया है. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज स्टुअर्ट क्लार्क भी कह चुके हैं कि दो साल पहले सि़डनी टेस्ट के बाद से ही ऑस्ट्रेलियाई टीम पहचान के संकट से गुजर रही है. 2008 में खेले गए सिडनी टेस्ट के दौरान भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के बीच जमकर तकरार हुई जिसके बाद ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की उनके व्यवहार के लिए आलोचना हुई.

सिडनी टेस्ट में ही भारत के स्पिनर हरभजन सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने एंड्रयू साइमंड्स को बंदर कहा लेकिन अपशब्द के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों पर कोई आरोप तय नहीं हुआ जिसके चलते भारतीय टीम ने दौरे का बॉयकॉट करने की धमकी दे दी. इसके बाद से ही ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को कहा गया कि उन्हें अपने तेवरों में नरमी लानी है. मार्श का कहना है कि खिलाड़ी अब दबकर खेलते हैं जिसका फायदा विपक्षी टीमें उठा रही हैं.
मार्श के मुताबिक कड़ी कार्रवाई का डर या लोगों की आलोचना के डर से ही ऑस्ट्रेलियाई टीम के प्रदर्शन पर असर पड़ा है. मार्श का कहना है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम अपनी सफलता का खामियाजा भुगत रही है क्योंकि वे हर मैच जीत रहे थे और एकदम से उन्हें कहा गया कि सिर्फ यही काफी नहीं है. खिलाड़ियों से अपेक्षा की गई कि उन्हें सिर्फ जीतना नहीं है बल्कि एक खास तरीके से जीतना है. तेवरों में नरमी लाकर जीतना है और यही प्रदर्शन में गिरावट का कारण बना.

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के प्रवक्ता पीटर यंग ने पुष्टि कर दी है कि भारत के खिलाफ 2008 सिडनी टेस्ट के बाद टीम की एक बैठक हुई थी जिसमें मैदान में खिलाड़ियों के व्यवहार पर चर्चा हुई. छह बार वर्ल्ड कप फाइनल खेल चुकी और चार बार विश्वविजेता रही ऑस्ट्रेलियाई टीम इस समय बेहद खराब दौर से गुजर रही है. टेस्ट की वर्ल्ड रैंकिंग में वह पांचवें स्थान पर गिर गई है और हाल के दिनों में कई टीमों ने उसे हराया है. रिकी पोंटिंग की कप्तानी पर भी सवाल उठ रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया टीम की गत ऐसे समय में हो रही है जब बड़े नाम रिटायर हो चुके हैं और नए खिलाड़ी पुराने दिग्गजों की जगह भरने में नाकाम रहे हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ए जमाल

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