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अखबार सामने लाया सीआईए की मनमानी

२० जुलाई २०१०

अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने सीआईए पर बड़े सवाल खड़े किए. अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि खुफिया एजेंसी ने भारी गलतियां की हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सीआईए को अपने जासूसों के बारे में पता ही नहीं है.

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तस्वीर: DPA

जून में सीआईए एक एजेंट की मौत हुई तो खुफिया एजेंसी के हेडक्वार्टर में उसे शहीद का दर्जा देते हुए याद किया गया. कहा गया कि शहादत आतंक के खिलाफ लड़ाई में हुई है. लेकिन मामले की पड़ताल में पता चला कि आतंक से लड़ाई के नाम पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी कुछ और ही खेल कर रही है.

अमेरिका पर हुए 9/11 के हमले के बाद अब तक सीआईए के कई जासूस मारे जा चुके हैं. अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अब यह दावा कर सबको हिला दिया है कि मारे गए जासूसों में आठ सीआईए के थे ही नहीं. सीआईए के लिए काम करने वाले ये जासूस निजी फर्मों के थे.

CIA Flüge Deutschland US Air Base Ramstein
तस्वीर: AP

अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निजी जासूसों को तैनात करते समय सीआईए ने राष्ट्रीय हितों और नियमों की अनदेखी की. एजेंसी ने ऐसे लोगों को जिम्मेदारी सौंपी जो अधिकारियों के करीबी थे. वॉशिंगटन पोस्ट की पत्रकार डाना प्राइस्ट का कहना है कि इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए उन्होंने दो साल की मेहनत की है.

वह कहती हैं, ''रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स और सीआईए डायरेक्टर लिओन पैनेटा का हमने इंटरव्यू किया. हमें पता चला कि सरकार में ऐसा कोई भी नहीं है जिसे यह पता हो कि कितने लोगों को टॉप सीक्रेट क्लीयरेंस मिला हुआ है. गेट्स इस मसले को लेकर काफी झल्लाए हुए हैं.''

डाना का दावा है कि सीआईए के कुछ लोगों ने इन आरोपों को स्वीकार किया है. सीआईए डायरेक्टर लिओन पैनेटा ने कहा, ''बहुत लंबे समय तक हम कॉन्ट्रैक्टरों के भरोसे रहे क्योंकि कई चीजें पूरी की जानी थी.'' पैनेटा ने माना है कि कई जिम्मेदारियां पूरी होने के बाद भी निजी जासूसों को हटाया नहीं गया. उन्होंने तर्क दिया कि यह काम रातों रात नहीं हो सकता.

सीआईए की सच्चाई का खुलासा करते हुए पेनेटा ने डाना प्राइस्ट से कहा, ''लोग ऐसा देश की खातिर या जूनून के खातिर नहीं कर रहे हैं. वह सिर्फ पैसे के लिए यह कर रहे हैं.'' पेनेटा का मुताबिक कॉन्ट्रैक्टरों के जरिए लिए गए जासूसों को महंगी बीएमडब्ल्यू गाड़ियां और मोटा पैसा बांटा गया.

पूरे मामले पर डाना प्राइस्ट कहती हैं, ''यह एक बहुत बड़ा और अस्त व्यस्त किया गया मामला है. जो लोग इसे चला रहे हैं वो भी नहीं जानते कि इसमें कितने लोग काम कर रहे हैं. यह भी नहीं पता कि यह कारगर है या नहीं. कई अलग अलग सरकारी विभाग एक ही काम कर रहे हैं, उन्हें एक दूसरे के बारे में बिलकुल भी पता नहीं.''

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट से अमेरिका में अब राजनीतिक बवाल मचा हुआ. राष्ट्रपति बराक ओबामा कई बार सीआईए के पर कतरने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर वह ऐसा करने में नाकाम रहे हैं. अब इस ताजा रिपोर्ट ने फिर से एक नई बहस छेड़ दी है, एक ऐसी बहस जिससे सीआईए पर दबाव बढ़ना तय है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एस गौड़