अंतरिक्ष स्टेशन में दूसरी गंभीर समस्या खड़ी हुई
८ अगस्त २०१०स्पेस स्टेशन में सुराख होने के बाद वहां से जहरीली अमोनिया गैस का रिसाव हो रहा है. इसकी वजह से कूलिंग सिस्टम के पूरी तरह बेकार होने का खतरा पैदा हो गया है. शनिवार को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा कि दिक्कतों को दूर करने के लिए तीसरी बार स्पेस वॉक करना ही पड़ेगा. इंटरनेशनल स्पेस सेंटर, आईएसएस के मैनेजर माइकल सफ्रेडिनी के मुताबिक, ''मुझे लगता है कि तीसरी बार अंतरिक्ष में चहलकदमी करनी पडे़गी. इतने कम समय में इस काम को करने के लिए अच्छे भाग्य की भी जरूरत है.''
पहले स्पेसवॉक के दौरान जब अंतरिक्ष यात्रियों ने कूलिंग सिस्टम को ठीक करने की कोशिश की और स्टेशन की बाहरी सतह पर लगा एक वाल्व खोल दिया. इसके बाद पाइप से अमोनिया गैस रिसने लगी. अमोनिया गैस का इस्तेमाल मशीनों को ठंडा रखने के लिए किया जाता है, लेकिन यह बेहद जहरीली गैस होती है. स्पेसवॉक करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि मरम्मत के दौरान उनकी विशेष अंतरिक्ष पोशाक में भी कुछ अमोनिया घुस गई.
इन दिक्कतों के बावजूद अमोनिया के रिसाव को जल्द रोकने की चुनौती अपनी जगह बरकरार है. स्पेसवॉक फ्लाइट डायरेक्टर कोर्टनी मैकमिलन कहती हैं, ''अगर रिसाव बहुत लंबे समय तक जारी रहा तो पूरे सिस्टम को दोबारा स्टार्ट करने में दिक्कत आएगी. कूलिंग सिस्टम में कोई और दिक्कत आने से पहले इस खराबी को ठीक करना जरूरी है.'' स्पेसवॉक की योजना के बारे में मैकमिलन ने कहा कि दो अंतरिक्ष यात्रियों को 355 किलोग्राम के एक पार्ट को हिलाते हुए खराबी वाली जगह तक लाना है. रविवार को नासा ने इस कमी पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई है. बुधवार को दूसरे स्पेसवॉक की योजना है.
अंतरिक्ष स्टेशन का अभी एक ही कूलिंग सिस्टम काम कर रहा है. नासा के मुताबिक अगर दूसरा कूलिंग सिस्टम भी फेल हो गया है तो अंतरिक्ष यात्री उपकरणों को ठंडा नहीं रख पाएंगे. कूलिंग सिस्टम के फेल होने की वजह से स्पेस स्टेशन के सूरज की तरफ वाले हिस्से का तामपान 121 डिग्री तक जा सकता है. जबकि अंधेरे वाले हिस्से का तापमान माइनस 127 डिग्री तक गिर सकता है.
अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरे की कोई बात नहीं है. स्पेस सेंटर के रूसी हिस्से में सब कुछ दुरुस्त है. अंतरिक्ष स्टेशन धरती से 350 किलोमीटर ऊपर है. स्टेशन पर अक्टूबर 1990 से इंसान रह रहे हैं. इस अभियान में 15 देश शामिल हैं और अब तक 100 अरब डॉलर खर्च किए जा चुके हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: महेश झा