अंतरिक्ष में मंडराता खतरा
धरती के आस पास 10,000 क्षुद्र ग्रह मंडराते हैं. अंतरिक्ष के कई शोधों में इसका बार बार पता चला है. यूरोप में ऐसा सिस्टम बनाया जा रहा है जो क्षुद्र ग्रहों की टक्कर की पहले ही चेतावनी दे सकता है.
यूरोपीय चेतावनी सिस्टम
धरती के पास मंडराते क्षुद्र ग्रह कभी भी गंभीर खतरा बन सकते हैं. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईएसए इटली के फ्रासकाटी में इसकी चेतावनी देने का तंत्र बना रहा है. टेनेरिफ में बनी इस वेधशाला का डाटा इटली पहुंचेगा.
धमाके की गूंज
15 फरवरी 2013 को रूस के चेलयाबिंस्क में उल्का पिंड टकराया. धमाके की ताकत 100 से 1,000 टन टीएनटी धमाके के बीच थी. 1,500 लोग जख्मी हुए. इस घटना से अर्ली वार्निंग सिस्टम की अहमियत समझी जा सकती है.
टल गई आफत
पृथ्वी के वायुमंडल में घुसने से पहले क्षुद्र ग्रह का व्यास करीब 20 मीटर था. वायुमंडल में घुसते ही यह विखंडित हो गया और कोई टुकड़ा एक किलो से ज्यादा का नहीं बचा. इन टुकड़ों ने बर्फ में छह मीटर गहरा छेद कर दिया.
जितना बड़ा, उतना खतरनाक
'2012डीए14' नाम का क्षुद्र ग्रह ज्यादा खतरनाक था. उसका वजन 1,30,000 टन था. 15 फरवरी 2013 के दिन ही ये धरती के बहुत करीब से गुजरा. इसकी धरती से दूरी 27,000 किलोमीटर थी. इससे दूर तो कई इंसानी उपग्रह हैं.
टला नहीं खतरा
कई और क्षुद्र ग्रह और उल्का पिंड इस साल भी धरती के करीब आने वाले हैं. वैज्ञानिक इन पर बारीक नजर रखे हुए हैं. एक छोटा सा टुकड़ा भी घातक हो सकता है.
उल्का पिंड और टूटते तारे
उल्का पिंड गैस, चट्टान और धूल के बने होते हैं. जब ये धरती के वायुमंडल में दाखिल होते हैं तो घर्षण की वजह से इनका तापमान 3,000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है. ऐसा होते ही यह चमकने लगते हैं और टूटे तारे कहलाते हैं.
तारों की मशहूर बरसात
चमकते हुए तेजी से गुजरते तारों को परसियड्स कहा जाता है. हर साल धरती की कक्षा पार करते उल्का पिण्डों से ऐसा नजारा दिखाई पड़ता है. परसियड्स का नाम उन तारामंडलों के आधार पर रखा जाता है, जिनके करीब ये देखे जाते हैं. यूनानी दंतकथाओं के पात्र परसियस के नाम पर इसे परसियड्स कहा जाता है.
जब उल्का पिंड न जले
आम तौर पर छोटे मोटे क्षुद्र ग्रह हमारे वायुमंडल में जल जाते हैं. धरती पर गिरने के बाद भी ये आम तौर पर नुकसान नहीं करते. इनका आकार भी छोटे पत्थरों जितना होता है. लेकिन अगर आकार बड़ा हो, तो चिंता की बात है. 50,000 साल पहले अमेरिका के एरीजोना में एक क्षुद्र ग्रह ने 1,000 मीटर चौड़ा गड्ढा कर दिया.
युग का अंत
6.5 करोड़ साल पहले एक विशाल क्षुद्र ग्रह युकाटान मेक्सिको के पास धरती से टकराया. इससे 180 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा बना. विशेषज्ञों के मुताबिक इसी टक्कर ने धरती पर डायनासोर का जीवन खत्म कर दिया. हाल में आई जानकारी के मुताबिक दो क्षुद्र ग्रहों की 16 करोड़ साल पहले हुई टक्कर की वजह से यह घटना हुई.
ब्रह्मांड से आई जली हुई चट्टानें
क्षुद्र ग्रह जली हुई चट्टानों से दिखते हैं. पृथ्वी के वायुमंडल में घुसते समय बाहरी आवरण जल जाने की वजह से परत बदल सी जाती है. क्षुद्र ग्रहों से दूसरे ग्रहों की भी टक्कर होती है. नासा के ऑपरच्यूनिटी रोवर ने 2005 में मंगल पर ऐसे ही बाहरी क्षुद्र ग्रहों को खोजा.
धूल और गैस
उल्का पिंडों और क्षुद्र ग्रहों के साथ पृथ्वी पर धूल भी आती है. विशेषज्ञों को लगता है कि ग्रहों के निर्माण के दौरान बची खुची चीजों से ये बने. इनमें सौरमंडल के जन्म के राज भी छिपे हो सकते हैं.
अंतरिक्ष से आए पत्थर
धरती पर मिलने वाले ज्यादातर धूमकेतु क्षुद्र ग्रहों का हिस्सा हैं. किसी ग्रह की उत्पत्ति के समय ही क्षुद्र ग्रह भी बनते हैं. उनका अपना वायुमंडल नहीं होता है और उनमें गुरुत्वाकर्षण बल भी नहीं के बराबर होता है.
चैन की सांस
फिलहाल इंसान चैन की सांस ले सकता है. अगले 100 साल तक धरती से किसी क्षुद्र ग्रह के टकराने की संभावना बहुत कम है.