अंतरिक्ष में चीन की बड़ी छलांग
चीन ने शेनचोऊ-11 रॉकेट के साथ अपने दो अंतरिक्ष यात्री स्पेस में भेजे हैं. चीन अंतरिक्ष शोध के क्षेत्र में अमेरिका और रूस की बराबरी करना चाहता है.
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ये छठा मौका है जब चीन ने अपने अंतरिक्ष यात्री भेजे हैं. यह अंतरिक्ष यान दो दिन के सफर के बाद थियानगोंग-2 प्रयोगशाला में पहुंचेगा, जिसे पिछले महीने अंतरिक्ष में भेजा गया था.
अनुभवी अंतरिक्ष यात्री
चीन के अंतरिक्ष यात्री चिंग हाइफेंग और छेन तोंग 30 दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे. वे वहां कई तरह के शोध करेंगे. चिन तीसरी बार अंतरिक्ष में गए हैं और इस बार वहीं अपना 50वां जन्मदिन भी मनाएंगे.
‘स्वर्ग जैसा महल’
चीन ने अंतरिक्ष प्रयोगशाला थियानगोंग-2 यानी ‘स्वर्ग जैसा महल-2’ सितंबर में भेजी थी. नौ मीटर लंबी और 13 टन वजनी ये प्रयोगशाला पृथ्वी से 393 किलोमीटर ऊपर एक कक्षा में है.
बड़ी कामयाबी
थियानगोंग-2 को अंतरिक्ष में भेजना चीन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. अधिकारियों का कहना है कि ये इससे पहले भेजी गई प्रयोगशाला के मुकाबले बड़ी और अधिक समय तक चलने वाली है.
अत्याधुनिक रोबोट
चीन ने शेनचोऊ-11 को प्रक्षेपित करने के लिए लॉन्ग मार्च-2 एफ कैरियर रॉकेट का इस्तेमाल किया. चिउछुआन सेटेलाइट लॉन्च सेंटर से इस रॉकेट करियर ने शेनचोऊ-11 को छोड़ा.
महत्वाकांक्षी परियोजना
चीन अंतरिक्ष में अपनी ताकत बढ़ाना चाहता है. वह 2017 में पहला अंतरिक्ष कार्गो शिप थियानचोऊ अंतरिक्ष प्रयोगशाला के पास भेजना चाहता है. इससे प्रयोगशाला को ईंधन और अन्य सामान आपूर्ति की जा सकेगी.
हो चीनी स्पेस स्टेशन
चीनी अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष संबंधी कई तकनीकों पर प्रयोग करेंगे. ये अंतरिक्ष में चीन का अपना स्पेस सेंटर बनाने के लिए बहुत अहम है. तस्वीर में दिख रहे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का अभियान 2024 में खत्म हो रहा है.
मेड इन चाइना
चीन ने हाल में अपने उस रोवर की तस्वीर जारी की जिसे मंगल ग्रह पर पड़ताल के लिए भेजा जाएगा. लेकिन अभी तक सिर्फ कंप्यूटर के ही माध्यम से दिखाया गया है कि छह पहियों वाला ये रोवर किस तरह काम करेगा.
पहली चीनी अंतरिक्ष प्रयोगशाला
चीन ने सितंबर 2011 में अपनी पहली अंतरिक्ष प्रयोगशाला थियानगोंग-1 को अंतरिक्ष में भेजा था. इसी साल मार्च में इसकी सेवाएं खत्म हुई हैं. इस दौरान तीन अंतरिक्ष यान इस प्रयोगशाला तक पहुंचे.
कामयाबी
2011 में मानवरहित शेनजोऊ-8 रॉकेट 11 दिनों के भीतर दो बार थियानगोंग-1 के पास पहुंचा. इसके बाद 2012 में मौजूदा शेनचोऊ-11 के कमांडर चिंग भी वहां पहुंचे थे.